नोएडा में ट्रैफिक जाम की समस्या से परेशान लोगों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। नोएडा प्राधिकरण ने मास्टर प्लान रोड नंबर-1 पर सेक्टर-3 के रजनीगंधा अंडरपास से सेक्टर-57 चौराहे तक 5 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड बनाने की योजना को हरी झंडी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत 600 करोड़ रुपये है,
और यह शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को नया रूप देने का वादा करती है। इससे न केवल नोएडा के स्थानीय निवासियों को फायदा होगा, बल्कि दिल्ली और गाजियाबाद की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए भी सफर आसान हो जाएगा। आइए जानते हैं इस नई एलिवेटेड रोड के बारे में सबकुछ और यह कैसे नोएडा को जाम-फ्री बनाने में मदद करेगी।
नोएडा में ट्रैफिक जाम का अंत
नोएडा में हर दिन लाखों लोग ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझते हैं, खासकर पीक आवर्स में। सुबह ऑफिस जाने और शाम को घर लौटने वाले लोग रजनीगंधा अंडरपास से लेकर सेक्टर-12, 22, और 56 तक लंबी वाहनों की कतारों में फंस जाते हैं। इस समस्या का हल निकालने के लिए नोएडा प्राधिकरण ने एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने का फैसला लिया है। यह परियोजना मूल रूप से 2015-16 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा शुरू की गई थी, लेकिन कुछ कारणों से यह ठप हो गई थी। अब, लगभग एक दशक बाद, इसे नए सिरे से शुरू करने की तैयारी हो रही है।
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इस 5 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड के बनने से नोएडा की ट्रैफिक व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है। यह रोड न केवल स्थानीय लोगों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि दिल्ली के डीएनडी फ्लाईवे और गाजियाबाद की ओर जाने वाले ट्रैफिक को भी राहत देगी। नोएडा प्राधिकरण का लक्ष्य है कि इस प्रोजेक्ट से शहर के औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों के बीच आवागमन को तेज और आसान बनाया जाए।
600 करोड़ की लागत: प्रोजेक्ट की डिटेल्स और प्लानिंग
यह एलिवेटेड रोड करीब 5 किलोमीटर लंबी होगी और सेक्टर-3 के रजनीगंधा अंडरपास से शुरू होकर सेक्टर-57 चौराहे तक जाएगी। इसका निर्माण चार लेन में होगा, जिससे दोनों दिशाओं में ट्रैफिक आसानी से चल सके। नोएडा प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 600 करोड़ रुपये अनुमानित की है। इसकी आधिकारिक मंजूरी मिल चुकी है, और अब इसे आईआईटी रुड़की को भेजा गया है, जहां इसका तकनीकी परीक्षण होगा। परीक्षण के बाद एक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाएगी, जिसके आधार पर निर्माण कार्य शुरू होगा।
क्यों जरूरी है यह एलिवेटेड रोड?
रजनीगंधा से सेक्टर-57 तक की सड़क नोएडा के सबसे व्यस्त इलाकों में से एक है। यह रास्ता शहर के औद्योगिक क्षेत्रों, जैसे सेक्टर-10 और सेक्टर-11, को आवासीय इलाकों से जोड़ता है। इसके अलावा, यह गाजियाबाद, खोड़ा, और इंदिरापुरम से दिल्ली जाने वाले ट्रैफिक का भी मुख्य रास्ता है। पीक आवर्स में यहाँ 5 रेड लाइट्स पर लंबा जाम लग जाता है, जिससे लोगों का समय और ईंधन दोनों बर्बाद होता है। इस एलिवेटेड रोड के बनने से इन सभी रेड लाइट्स को हटाया जा सकेगा, जिससे ट्रैफिक सिग्नल-फ्री हो जाएगा।
कब तक शुरू होगा काम?
आईआईटी रुड़की से रिपोर्ट मिलने के बाद DPR तैयार होगी, और उसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि अगले कुछ महीनों में निर्माण कार्य शुरू हो सकता है। यह प्रोजेक्ट नोएडा के भविष्य को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है, क्योंकि आने वाले सालों में यहाँ ट्रैफिक का दबाव और बढ़ने की संभावना है।
नोएडा के लोगों को कैसे मिलेगा फायदा?

इस एलिवेटेड रोड का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि यह 5 रेड लाइट्स को खत्म कर देगी। इससे सुबह और शाम के व्यस्त समय में लोगों को जाम में फंसने की परेशानी से छुटकारा मिलेगा। खास तौर पर डीएनडी फ्लाईवे से दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों के लिए यह एक वरदान साबित होगा। उदाहरण के लिए, अगर आप सेक्टर-57 से दिल्ली जा रहे हैं, तो आपको अब रजनीगंधा या सेक्टर-12 जैसे व्यस्त चौराहों पर रुकना नहीं पड़ेगा।
औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों की कनेक्टिविटी
नोएडा एक तेजी से बढ़ता हुआ औद्योगिक हब है, जहां हजारों लोग हर दिन काम के लिए आते-जाते हैं। यह एलिवेटेड रोड औद्योगिक सेक्टरों (जैसे सेक्टर-3, 10, और 11) को आवासीय इलाकों (सेक्टर-12, 22, और 56) से जोड़ेगी। इससे न केवल रोज़मर्रा के यात्रियों को फायदा होगा, बल्कि व्यवसायों को भी तेज लॉजिस्टिक्स की सुविधा मिलेगी।
पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव
लंबे ट्रैफिक जाम की वजह से वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है। इस एलिवेटेड रोड के बनने से ट्रैफिक फ्लो बेहतर होगा, जिससे ईंधन की खपत और कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। यह नोएडा को एक स्मार्ट और पर्यावरण के प्रति जागरूक शहर बनाने की दिशा में एक कदम होगा।
नोएडा में चल रही अन्य एलिवेटेड रोड परियोजनाएं
नोएडा में ट्रैफिक को सुधारने के लिए यह अकेली परियोजना नहीं है। डीएससी रोड पर भंगेल एलिवेटेड रोड का निर्माण कार्य भी जोरों पर है। यह रोड नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच आवागमन को आसान बनाएगी, खासकर उन इलाकों में जहां सड़कें संकरी हैं और अतिक्रमण की समस्या है।

चिल्ला एलिवेटेड रोड
दिल्ली के चिल्ला रेगुलेटर से नोएडा के महामाया फ्लाईओवर तक एक और एलिवेटेड रोड का निर्माण भी जल्द शुरू होने वाला है। यह प्रोजेक्ट अगले तीन से चार महीनों में शुरू हो सकता है और इससे दिल्ली-नोएडा कनेक्टिविटी और मजबूत होगी। यह रोड खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो रोज़ाना दिल्ली से नोएडा आते-जाते हैं।
इन सभी परियोजनाओं का मकसद नोएडा को एक जाम-मुक्त और स्मार्ट सिटी बनाना है। नोएडा प्राधिकरण का कहना है कि ये प्रोजेक्ट्स शहर की बढ़ती आबादी और ट्रैफिक जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किए गए हैं।
ट्रैफिक जाम की चुनौती: क्यों थी इसकी जरूरत?
नोएडा में ट्रैफिक की समस्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। रजनीगंधा अंडरपास से सेक्टर-57 तक का रास्ता सुबह 8 से 11 बजे और शाम 5 से 8 बजे तक सबसे व्यस्त रहता है। यहाँ वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा होती है कि कई बार 2-3 किलोमीटर का सफर तय करने में 30-40 मिनट लग जाते हैं। इसका कारण है:
- बढ़ता ट्रैफिक दबाव: नोएडा में औद्योगिक विकास और नई हाउसिंग सोसाइटीज़ की वजह से वाहनों की संख्या बढ़ रही है।
- गाजियाबाद से ट्रैफिक: गाजियाबाद, खोड़ा, और इंदिरापुरम से आने वाला ट्रैफिक इस रास्ते पर अतिरिक्त बोझ डालता है।
- सिग्नल की समस्या: 5 रेड लाइट्स की वजह से ट्रैफिक रुक-रुक कर चलता है, जिससे जाम की स्थिति बनती है।
यह एलिवेटेड रोड इन सभी समस्याओं का एक स्थायी समाधान लेकर आएगी। क्या आपको भी लगता है कि नोएडा में ट्रैफिक की समस्या अब असहनीय हो गई है?
नोएडा का विकास
यह एलिवेटेड रोड नोएडा को एक स्मार्ट सिटी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। बेहतर सड़क कनेक्टिविटी से न केवल लोगों का समय बचेगा, बल्कि व्यवसायों को भी फायदा होगा। नोएडा पहले से ही आईटी हब और औद्योगिक केंद्र के रूप में जाना जाता है, और यह प्रोजेक्ट इसे और आकर्षक बनाएगा। कंपनियों के लिए तेज ट्रांसपोर्ट और कर्मचारियों के लिए आसान आवागमन निवेश को बढ़ावा देगा।
दिल्ली-एनसीआर की कनेक्टिविटी

नोएडा, दिल्ली, और गाजियाबाद के बीच बेहतर कनेक्टिविटी से पूरे एनसीआर क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। डीएनडी फ्लाईवे और महामाया फ्लाईओवर जैसे व्यस्त रास्तों पर ट्रैफिक का दबाव कम होगा, जिससे दिल्ली-नोएडा का सफर पहले से कहीं ज्यादा तेज हो जाएगा। यह प्रोजेक्ट उन लोगों के लिए भी राहत लेकर आएगा जो रोज़ाना इन शहरों के बीच यात्रा करते हैं।
अन्य शहरों के लिए प्रेरणा
नोएडा की यह पहल देश के अन्य मेट्रो शहरों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। मुंबई, बेंगलुरु, और हैदराबाद जैसे शहर भी ट्रैफिक जाम से जूझ रहे हैं, और वहाँ भी एलिवेटेड रोड्स एक प्रभावी समाधान हो सकती हैं। क्या आपको लगता है कि भारत के सभी बड़े शहरों में ऐसी परियोजनाओं की जरूरत है?
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निष्कर्ष: नोएडा का भविष्य जाम-फ्री
600 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह एलिवेटेड रोड नोएडा के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगी। रजनीगंधा से सेक्टर-57 तक 5 किलोमीटर का यह रास्ता न केवल ट्रैफिक जाम को खत्म करेगा, बल्कि शहर की कनेक्टिविटी को भी बेहतर बनाएगा। दिल्ली, गाजियाबाद, और नोएडा के बीच तेज और सुविधाजनक यात्रा का सपना अब हकीकत में बदलने वाला है। नोएडा प्राधिकरण की यह पहल न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए राहत लेकर आएगी, बल्कि शहर को एक स्मार्ट और टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाएगी।
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