Ola, Uber, Rapido: नई गाइडलाइंस से जेब पर पड़ेगा बोझ, पीक आवर्स में दोगुना किराया

शहर की भागदौड़ में Ola, Uber और Rapido जैसी ऐप-बेस्ड कैब और बाइक टैक्सी सेवाएं हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी हैं। लेकिन अब इन सेवाओं का उपयोग करने वालों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस (MVAG) 2025 जारी की हैं,

जो कैब और बाइक टैक्सी कंपनियों के लिए नए नियम लाती हैं। इन नियमों के तहत पीक आवर्स में बेस किराए का दोगुना चार्ज वसूलने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही प्राइवेट बाइकों को टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने की छूट और ड्राइवरों के लिए सख्त नियम भी लागू किए गए हैं। आइए, इन गाइडलाइंस के हर पहलू को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि यह आपके लिए क्या मायने रखता है।

MVAG 2025: नए नियमों का अवलोकन

मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस (MVAG) 2025, जो 1 जुलाई 2025 को जारी की गईं, भारत की शहरी गतिशीलता को और बेहतर बनाने के लिए बनाई गई हैं। ये गाइडलाइंस 2020 के नियमों को अपडेट करती हैं और कैब, बाइक टैक्सी, ऑटो-रिक्शा और ई-रिक्शा जैसी सेवाओं को नियंत्रित करती हैं। इसका मकसद यात्रियों की सुरक्षा, ड्राइवरों के कल्याण और कंपनियों के लिए लचीलापन सुनिश्चित करना है। लेकिन इन बदलावों का सबसे बड़ा असर यात्रियों की जेब पर पड़ेगा, क्योंकि पीक आवर्स में किराया अब दोगुना हो सकता है।

पीक आवर्स में दोगुना किराया: आपकी जेब पर असर

नई गाइडलाइंस के तहत Ola, Uber और Rapido जैसी कंपनियां पीक आवर्स में बेस किराए का दोगुना (2x) वसूल सकेंगी। पहले यह सीमा 1.5 गुना थी। उदाहरण के लिए, अगर आपका सामान्य किराया 100 रुपये है, तो व्यस्त समय में यह 200 रुपये तक हो सकता है। दूसरी ओर, ऑफ-पीक समय में कंपनियां बेस किराए का 50% तक कम चार्ज कर सकती हैं, यानी वही 100 रुपये का किराया 50 रुपये तक हो सकता है।

यह नियम यात्रियों के लिए दोधारी तलवार है। जहां ऑफ-पीक समय में सस्ती सवारी का फायदा मिलेगा, वहीं सुबह-शाम के व्यस्त समय या खराब मौसम में किराया बढ़ने से जेब पर बोझ बढ़ेगा। गाइडलाइंस में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बेस किराया कम से कम 3 किलोमीटर की दूरी को कवर करेगा, ताकि ड्राइवरों को पिकअप के लिए खाली दूरी (डेड माइलेज) का मुआवजा मिले। हालांकि, 3 किलोमीटर से कम दूरी की सवारी पर ही डेड माइलेज चार्ज लागू होगा।

किराए की गणना कैसे होगी?

किराया पिकअप पॉइंट से ड्रॉप-ऑफ पॉइंट तक ही लिया जाएगा, सिवाय इसके कि पिकअप की दूरी 3 किलोमीटर से कम हो। अगर आपका बेस किराया 100 रुपये है, तो:

  • पीक आवर्स: अधिकतम 200 रुपये
  • ऑफ-पीक आवर्स: न्यूनतम 50 रुपये
  • डेड माइलेज: केवल 3 किमी से कम दूरी पर लागू

यह लचीलापन कंपनियों को मांग और आपूर्ति के आधार पर किराया समायोजित करने की अनुमति देता है, लेकिन यात्रियों को व्यस्त समय में सवारी बुक करने से पहले दो बार सोचना पड़ सकता है।

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प्राइवेट बाइकों को टैक्सी की मंजूरी: बाइक टैक्सी का विस्तार

नई गाइडलाइंस का एक बड़ा बदलाव प्राइवेट (व्हाइट नंबर प्लेट) बाइकों को बाइक टैक्सी के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति है, बशर्ते राज्य सरकारें इसे मंजूरी दें। पहले केवल कमर्शियल (येलो नंबर प्लेट) बाइकें ही टैक्सी के रूप में चल सकती थीं। यह बदलाव Rapido और Uber जैसे बाइक टैक्सी ऑपरेटर्स के लिए गेम-चेंजर है, क्योंकि इससे बाइकों की उपलब्धता बढ़ेगी और किफायती परिवहन के विकल्प बढ़ेंगे।

Rapido ने इस बदलाव को “विकसित भारत की दिशा में मील का पत्थर” बताया है, क्योंकि यह ट्रैफिक जाम और प्रदूषण को कम करने में मदद करेगा। हालांकि, कई राज्यों, जैसे कर्नाटक, में बाइक टैक्सी पहले से ही कानूनी असमंजस का सामना कर रही थीं। अब यह राज्य सरकारों पर निर्भर है कि वे इस नियम को कैसे लागू करती हैं।

बाइक टैक्सी के फायदे

  • किफायती: बाइक टैक्सी कैब की तुलना में सस्ती होती हैं।
  • तेज़: ट्रैफिक में आसानी से निकल सकती हैं।
  • लास्ट-माइल कनेक्टिविटी: छोटी दूरी की यात्रा के लिए आदर्श।

लेकिन यात्रियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाइक टैक्सी ड्राइवरों के पास वैलिड लाइसेंस और इंश्योरेंस है, क्योंकि सुरक्षा एक बड़ी चिंता हो सकती है।

ड्राइवरों के लिए नए नियम

MVAG 2025 में ड्राइवरों के कल्याण और जवाबदेही पर विशेष ध्यान दिया गया है। कुछ प्रमुख नियम इस प्रकार हैं:

  • पुलिस वेरिफिकेशन: कंपनियों को ड्राइवरों का पुलिस वेरिफिकेशन करवाना अनिवार्य है।
  • दस्तावेज़: ड्राइवरों के पास वैलिड ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी का इंश्योरेंस और फिटनेस सर्टिफिकेट होना चाहिए।
  • इंश्योरेंस: कंपनियों को ड्राइवरों के लिए कम से कम 5 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस और 10 लाख रुपये का टर्म इंश्योरेंस देना होगा।
  • किराए का बंटवारा:
    • ड्राइवर की अपनी गाड़ी होने पर उसे 80% किराया मिलेगा।
    • कंपनी की गाड़ी होने पर ड्राइवर को 60% हिस्सा मिलेगा।
  • पेमेंट: किराए का भुगतान डेली, वीकली या हर 15 दिन में करना होगा।

ये नियम ड्राइवरों को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करते हैं, लेकिन कंपनियों पर अतिरिक्त लागत का बोझ डाल सकते हैं, जो अंततः किराए में बढ़ोतरी के रूप में यात्रियों तक पहुंच सकता है।

यात्रियों के लिए क्या बदलेगा?

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नई गाइडलाइंस यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई बदलाव लाती हैं:

  • ऐप की सुलभता: कंपनियों को अपने ऐप को हिंदी, अंग्रेजी और राज्य की आधिकारिक भाषा में उपलब्ध कराना होगा। दिव्यांगजनों के लिए भी ऐप को सुलभ बनाना अनिवार्य है।
  • 24/7 कॉल सेंटर: शिकायतों के लिए हर कंपनी को 24/7 कॉल सेंटर स्थापित करना होगा।
  • कैंसिलेशन पॉलिसी: अगर ड्राइवर या यात्री बिना वैध कारण के राइड कैंसिल करता है, तो किराए का 10% (अधिकतम 100 रुपये) चार्ज कटेगा। यह राशि ड्राइवर और कंपनी के बीच बंटेगी।
  • सुरक्षा: हर गाड़ी में ट्रैकिंग डिवाइस और 5 लाख रुपये का यात्री इंश्योरेंस अनिवार्य होगा।

हालांकि, एक सर्वे के मुताबिक, 59% यात्री अभी भी राइड कैंसिलेशन, सर्ज प्राइसिंग और ड्राइवर के व्यवहार जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। इन नियमों के लागू होने के बाद इन समस्याओं में कमी आने की उम्मीद है।

उबर और रैपिडो ने किया स्वागत

Ola, Uber और Rapido ने इन गाइडलाइंस का स्वागत किया है। Uber ने इसे “नवाचार और नियामक स्पष्टता की दिशा में एक दूरदर्शी कदम” बताया है, जबकि Rapido ने प्राइवेट बाइकों को टैक्सी के रूप में मान्यता देने को “विकसित भारत की दिशा में मील का पत्थर” करार दिया है।

दोनों कंपनियां मानती हैं कि ये नियम किफायती परिवहन, ट्रैफिक जाम में कमी और ड्राइवरों के लिए नए अवसर पैदा करेंगे। लेकिन कुछ आलोचकों, जैसे कांग्रेस पार्टी, ने इसे “वसूली” का कदम बताया है, जिससे यात्रियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

नए नियमों का प्रभाव: फायदे और नुकसान

  • यात्रियों के लिए: ऑफ-पीक समय में सस्ती सवारी, बेहतर सुरक्षा और शिकायत निवारण।
  • ड्राइवरों के लिए: बेहतर आय, इंश्योरेंस और नियमित भुगतान।
  • कंपनियों के लिए: किराए में लचीलापन और बाइक टैक्सी के लिए ज्यादा अवसर।
  • पर्यावरण के लिए: बाइक टैक्सी से ट्रैफिक और प्रदूषण में कमी।
  • यात्रियों के लिए: पीक आवर्स में दोगुना किराया।
  • कंपनियों के लिए: इंश्योरेंस और ट्रैकिंग डिवाइस की अतिरिक्त लागत।
  • ड्राइवरों के लिए: कैंसिलेशन पर जुर्माना और सख्त रेटिंग नियम।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. पीक आवर्स में किराया कितना बढ़ेगा?

पीक आवर्स में कंपनियां बेस किराए का दोगुना (2x) तक चार्ज कर सकती हैं। उदाहरण के लिए, 100 रुपये का किराया 200 रुपये तक हो सकता है।

2. ऑफ-पीक समय में क्या होगा?

ऑफ-पीक समय में किराया बेस किराए का 50% तक कम हो सकता है।

3. प्राइवेट बाइक टैक्सी का क्या मतलब है?

प्राइवेट (व्हाइट नंबर प्लेट) बाइकों को राज्य सरकार की मंजूरी के बाद टैक्सी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे बाइक टैक्सी की उपलब्धता बढ़ेगी।

4. राइड कैंसिलेशन का क्या नियम है?

बिना वैध कारण के राइड कैंसिल करने पर ड्राइवर या यात्री से किराए का 10% (अधिकतम 100 रुपये) चार्ज कटेगा।

5. क्या ये नियम सभी राज्यों में लागू होंगे?

राज्य सरकारों को 3 महीने (1 अक्टूबर 2025 तक) में इन नियमों को लागू करना होगा। वे स्थानीय ज़रूरतों के आधार पर अतिरिक्त नियम भी जोड़ सकते हैं।

निष्कर्ष: तैयार रहें बदलाव के लिए

मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 भारत की शहरी गतिशीलता को नया रूप देने की कोशिश हैं। पीक आवर्स में दोगुना किराया यात्रियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है, लेकिन ऑफ-पीक समय में सस्ती सवारी और बाइक टैक्सी की बढ़ती उपलब्धता कुछ राहत दे सकती है। ड्राइवरों के लिए इंश्योरेंस और बेहतर आय के नियम उनके कल्याण को बढ़ावा देंगे, जबकि कंपनियों को लचीलापन मिलेगा।

यात्रियों के लिए सलाह है कि सवारी बुक करने से पहले पीक और ऑफ-पीक समय का ध्यान रखें। अगर आप बाइक टैक्सी का इस्तेमाल करते हैं, तो ड्राइवर के दस्तावेज़ और सुरक्षा उपायों की जांच करें। ये नियम 1 अक्टूबर 2025 तक लागू हो जाएंगे, इसलिए अपनी यात्रा की योजना अभी से बनाना शुरू करें। क्या आप इस बदलाव के लिए तैयार हैं? अपने नज़दीकी कैब या बाइक टैक्सी ऐप को अपडेट करें और नए किराए के ढांचे का अनुभव करें!

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