गाजियाबाद में साइबर ठगी का नया मामला: सऊदी अरब में भाई की गिरफ्तारी का झांसा देकर युवती से लूटे 2.18 लाख रुपये

गाजियाबाद में साइबर ठगी का नया मामला: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के मोदीनगर में साइबर अपराधियों ने एक युवती को निशाना बनाकर 2.18 लाख रुपये की ठगी की है। अपराधियों ने पीड़िता को यह झांसा दिया कि उसका सऊदी अरब में रहने वाला भाई पुलिस की हिरासत में है और उसे छुड़ाने के लिए तत्काल रकम की जरूरत है।

डर और भावनात्मक दबाव में आई युवती ने कई बैंक खातों में पैसे ट्रांसफर कर दिए। बाद में जब युवती का अपने भाई से संपर्क हुआ, तो ठगी का खुलासा हुआ। पीड़िता ने मोदीनगर के भोजपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई है, और पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है। यह घटना साइबर ठगी के बढ़ते मामलों और लोगों को जागरूक करने की जरूरत को उजागर करती है।

ठगी का तरीका और पीड़िता की आपबीती

मोदीनगर के भोजपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली सायदा (बदला हुआ नाम) ने पुलिस को बताया कि कुछ समय पहले उनके पास एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को उनके भाई हैदर के नाम से पेश किया और दावा किया कि उसे सऊदी अरब में पुलिस ने हिरासत में लिया है।

अपराधियों ने पीड़िता को डराने के लिए कहा कि उनके भाई को छुड़ाने के लिए तुरंत पैसे की जरूरत है। उस समय सायदा ने अपने भाई के नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन नंबर बंद होने के कारण वह घबरा गईं। साइबर ठगों ने इस मौके का फायदा उठाया और व्हाट्सएप के जरिए कई बैंक खातों के नंबर भेजकर 2.18 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।

कुछ दिनों बाद जब सायदा का अपने भाई से संपर्क हुआ, तो पता चला कि वह पूरी तरह सुरक्षित है और उसे किसी भी तरह की हिरासत में नहीं लिया गया था। यह जानकर सायदा को ठगी का अहसास हुआ। पीड़िता ने बताया कि ठग अभी भी उन्हें फोन करके और पैसे मांग रहे हैं, जिससे वह मानसिक रूप से परेशान हैं। इस घटना के बाद सायदा ने तुरंत भोजपुर थाने में शिकायत दर्ज की, और पुलिस ने साइबर क्राइम सेल की मदद से मामले की जांच शुरू कर दी है।

साइबर ठगी के बढ़ते मामले और पुलिस की कार्रवाई

गाजियाबाद में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल के महीनों में, ठगों ने लोगों को फर्जी बीमा पॉलिसी, ऑनलाइन नौकरी, और डिजिटल अरेस्ट जैसे झांसे देकर लाखों रुपये की ठगी की है। इस मामले में, पुलिस ने संदिग्ध खातों की जांच शुरू की है और कॉल डिटेल्स व व्हाट्सएप चैट की तकनीकी जांच कर रही है।

गाजियाबाद पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने हाल ही में एक अंतरराज्यीय ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया था, जिसमें पांच लोग गिरफ्तार हुए थे। यह घटना दर्शाती है कि साइबर अपराधी नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे हैं।

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ठगी की तकनीक और विशेषताएं

साइबर ठगों ने इस मामले में भावनात्मक ब्लैकमेलिंग और तकनीकी चालबाजी का सहारा लिया। नीचे दी गई तालिका में इस ठगी की प्रमुख विशेषताएं और तकनीकों का विवरण दिया गया है:

विशेषताविवरण
ठगी का तरीकासऊदी अरब में भाई की गिरफ्तारी का झांसा देकर भावनात्मक दबाव बनाना।
संपर्क का माध्यमअनजान मोबाइल नंबर से कॉल और व्हाट्सएप पर बैंक खाता नंबर भेजना।
राशि2.18 लाख रुपये, कई खातों में ट्रांसफर।
तकनीकफर्जी कॉलर आईडी और संभावित वॉइस मॉड्यूलेशन का उपयोग।
प्रभावपीड़िता पर मानसिक और आर्थिक नुकसान, लगातार धमकी भरे कॉल।

साइबर ठगी से बचने के लिए सावधानियां

पुलिस और साइबर विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि वे अनजान नंबरों से आने वाले कॉल्स और मैसेज पर भरोसा न करें। खासकर, अगर कोई विदेश में रिश्तेदार की गिरफ्तारी या आपातकाल का दावा करे, तो तुरंत संबंधित व्यक्ति से सीधे संपर्क करें।

इसके अलावा, बैंक खाता विवरण, ओटीपी, या अन्य संवेदनशील जानकारी कभी भी साझा न करें। गाजियाबाद पुलिस ने नागरिकों से राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर शिकायत दर्ज करने और 1930 हेल्पलाइन नंबर पर तुरंत संपर्क करने की सलाह दी है।

पुलिस की जांच और भविष्य की कार्रवाई

भोजपुर थाना पुलिस और साइबर क्राइम सेल इस मामले में गहन जांच कर रही है। पुलिस ने संदिग्ध खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू की है और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (CDR) के आधार पर ठगों की लोकेशन का पता लगाने की कोशिश कर रही है।

गाजियाबाद पुलिस ने हाल के महीनों में साइबर ठगी के कई मामलों में सफलता हासिल की है, जिसमें 1.64 लाख रुपये की राशि पीड़ितों को वापस की गई थी। पुलिस का कहना है कि इस तरह के अपराधों में शामिल गिरोह अक्सर अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करते हैं, जिसके लिए विशेष तकनीकी जांच की जरूरत होती है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

यह घटना न केवल सायदा के लिए बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है। साइबर ठगी के बढ़ते मामले लोगों के बीच डर और अविश्वास पैदा कर रहे हैं। खासकर ग्रामीण और छोटे शहरों में, जहां तकनीकी जागरूकता कम है, लोग आसानी से ठगों का शिकार बन रहे हैं। इस तरह की घटनाएं न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि पीड़ितों पर मानसिक दबाव भी डालती हैं। गाजियाबाद पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे अपने परिवार और दोस्तों को साइबर ठगी के खतरों के बारे में जागरूक करें।

पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. गाजियाबाद में सायदा के साथ साइबर ठगी कैसे हुई?

साइबर ठगों ने सायदा को फोन करके बताया कि उनका भाई सऊदी अरब में पुलिस हिरासत में है। डर और भावनात्मक दबाव में आकर सायदा ने 2.18 लाख रुपये विभिन्न बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिए।

2. ठगों ने कौन सी तकनीक का इस्तेमाल किया?

ठगों ने फर्जी कॉलर आईडी और संभवतः वॉइस मॉड्यूलेशन का उपयोग किया। उन्होंने व्हाट्सएप के जरिए कई बैंक खातों के नंबर भेजे और पीड़िता को डराकर पैसे ट्रांसफर करवाए।

3. पुलिस इस मामले में क्या कर रही है?

मोदीनगर के भोजपुर थाना पुलिस और साइबर क्राइम सेल ने मामले की जांच शुरू की है। संदिग्ध खातों को फ्रीज करने और कॉल डिटेल्स के आधार पर ठगों की पहचान करने की प्रक्रिया चल रही है।

4. साइबर ठगी से बचने के लिए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

अनजान नंबरों से आने वाले कॉल्स और मैसेज पर भरोसा न करें। रिश्तेदारों से सीधे संपर्क करें, और बैंक खाता विवरण या ओटीपी कभी साझा न करें। शिकायत के लिए 1930 हेल्पलाइन या cybercrime.gov.in का उपयोग करें।

5. क्या सायदा को पैसे वापस मिल सकते हैं?

पुलिस ने संदिग्ध खातों को फ्रीज करने की प्रक्रिया शुरू की है। यदि जांच में सफलता मिली, तो राशि वापस मिलने की संभावना है, जैसा कि गाजियाबाद में पहले कुछ मामलों में हुआ है।

यह घटना साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को दर्शाती है। लोगों को जागरूक रहने और संदिग्ध कॉल्स से सावधान रहने की जरूरत है ताकि वे इस तरह की ठगी का शिकार न बनें। गाजियाबाद पुलिस की त्वरित कार्रवाई और जागरूकता अभियान इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं।

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