ग्रेटर नोएडा: गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे से नोएडा एयरपोर्ट तक तेज कनेक्टिविटी!

उत्तर प्रदेश में सड़क नेटवर्क को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है। ग्रेटर नोएडा में गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने वाला 70 किलोमीटर लंबा लिंक एक्सप्रेसवे जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है। इस परियोजना के लिए 56 गांवों की जमीन चिन्हित की गई है, और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) ने इसे तेजी से पूरा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

यह एक्सप्रेसवे न केवल नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली-एनसीआर के बीच यात्रा को और आसान करेगा। आइए, इस परियोजना के हर पहलू को सरल भाषा में समझते हैं और जानते हैं कि यह आम लोगों और व्यवसायों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।

गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे का परिचय

यह ग्रीनफील्ड लिंक एक्सप्रेसवे गंगा एक्सप्रेसवे के बुलंदशहर (स्याना क्षेत्र) से शुरू होकर यमुना एक्सप्रेसवे के सेक्टर 21 (फिल्म सिटी के पास) तक जाएगा। इसका मुख्य लक्ष्य नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को पश्चिमी यूपी से जोड़ना है, ताकि यात्रियों और कार्गो परिवहन के लिए एक तेज और सुगम मार्ग उपलब्ध हो।

यह 120 मीटर चौड़ा कॉरिडोर 56 गांवों से होकर गुजरेगा, जिसमें गौतमबुद्ध नगर के 9 गांव और बुलंदशहर के 47 गांव शामिल हैं। इस परियोजना की अनुमानित लागत 4,000 करोड़ रुपये है, और इसे जल्द से जल्द पूरा करने की योजना है।

परियोजना का उद्देश्य

इस एक्सप्रेसवे का निर्माण उत्तर प्रदेश को भारत के सबसे उन्नत सड़क नेटवर्क वाले राज्यों में से एक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना यात्रा समय को कम करेगी, औद्योगिक विकास को बढ़ावा देगी, और नोएडा एयरपोर्ट को क्षेत्रीय व्यापार का केंद्र बनाएगी। यह पश्चिमी यूपी के लोगों को दिल्ली-एनसीआर तक तेजी से पहुँचने में मदद करेगा और आर्थिक गतिविधियों को नई गति देगा।

निर्माण और जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया

गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे

जमीन की पहचान और मार्किंग: यमुना प्राधिकरण ने इस एक्सप्रेसवे के लिए जमीन चिन्हित करने का काम शुरू कर दिया है। गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर के 56 गांवों को इस परियोजना के लिए चुना गया है।

पिलर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो एलाइनमेंट को अंतिम रूप देगी। प्राधिकरण ने यह सुनिश्चित किया है कि यमुना सिटी जैसे विकसित क्षेत्रों को कम से कम नुकसान हो। इसके लिए शुरू में प्रस्तावित 83 किमी के मार्ग को संशोधित कर 70-74.3 किमी कर दिया गया है।

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किसानों की सहमति और मुआवजा

जमीन अधिग्रहण से पहले, प्राधिकरण किसानों के साथ सहमति बनाने पर जोर दे रहा है। यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष होगी, ताकि किसानों को उचित मुआवजा मिले और परियोजना बिना किसी विवाद के आगे बढ़े। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA) ने प्रभावित क्षेत्रों में जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी है, ताकि परियोजना को तेजी से लागू किया जा सके।

प्रभावित गांव

इस एक्सप्रेसवे के लिए गौतमबुद्ध नगर के निम्नलिखित 9 गांव चिन्हित किए गए हैं:

  • मेहंदीपुर बांगर
  • भाईपुर ब्राह्मणान
  • रबूपुरा
  • म्याना
  • फाजिलपुर
  • भुन्नटगा
  • कल्लूपुरा
  • अन्य

बुलंदशहर में, खुर्जा, स्याना, और शिकारपुर तहसीलों के 47 गांव प्रभावित होंगे, जैसे अमानुल्लाहपुर और कपना

लाभ और चुनौतियाँ

यह लिंक एक्सप्रेसवे कई मायनों में फायदेमंद होगा। यह नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पश्चिमी यूपी से कनेक्टिविटी को बेहतर बनाएगा, जिससे यात्रा समय और लागत में कमी आएगी। यह ट्रैफिक जाम को कम करेगा और कार्गो परिवहन को अधिक कुशल बनाएगा। इसके अलावा, यमुना सिटी और फिल्म सिटी जैसे क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ेंगी, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

हर बड़ी परियोजना की तरह, इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में भी कुछ चुनौतियाँ हैं। जमीन अधिग्रहण एक संवेदनशील मुद्दा हो सकता है, और किसानों के विरोध की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, पर्यावरणीय प्रभाव और निर्माण लागत को नियंत्रित करना भी एक चुनौती होगी। हालांकि, यमुना प्राधिकरण इन समस्याओं को हल करने के लिए पारदर्शी प्रक्रिया और उचित मुआवजा नीति पर काम कर रहा है।

लिंक एक्सप्रेसवे बनाम अन्य एक्सप्रेसवे

विशेषतागंगा-यमुना लिंक एक्सप्रेसवेगंगा एक्सप्रेसवेयमुना एक्सप्रेसवे
लंबाई70-74.3 किमी594 किमी165 किमी
लागत4,000 करोड़ रुपये36,000 करोड़ रुपये13,000 करोड़ रुपये
उद्देश्यनोएडा एयरपोर्ट कनेक्टिविटीपूर्वी-पश्चिमी यूपी को जोड़नादिल्ली-आगरा को जोड़ना
प्रभावित गांव56 (9 गौतमबुद्ध नगर, 47 बुलंदशहर)519 गांव70+ गांव
निर्माण स्थितिप्रारंभिक चरण (जमीन चिन्हित)निर्माणाधीनपूर्ण
गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे का निर्माण कब शुरू होगा?

यमुना प्राधिकरण ने जमीन चिन्हित करने और पिलर लगाने का काम शुरू कर दिया है। जमीन अधिग्रहण पूरा होने के बाद, निर्माण कार्य 2026 तक शुरू होने की संभावना है।

2. क्या यह परियोजना पर्यावरण को प्रभावित करेगी?

प्राधिकरण पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) कर रहा है, ताकि पर्यावरण संरक्षण के मानकों का पालन हो। ग्रीनफील्ड डिज़ाइन के कारण, विकसित क्षेत्रों को कम से कम नुकसान होगा।

3. किसानों को मुआवजा कैसे मिलेगा?

यमुना प्राधिकरण किसानों के साथ सहमति बनाने पर काम कर रहा है। उचित मुआवजा और पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए किसानों के हितों का ध्यान रखा जाएगा।

निष्कर्ष

गंगा-यमुना एक्सप्रेसवे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए एक क्रांतिकारी परियोजना है, जो नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दिल्ली-एनसीआर और अन्य क्षेत्रों से जोड़कर आर्थिक विकास को गति देगी। यह यात्रा समय को कम करेगा, ट्रैफिक जाम को कम करेगा, और क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देगा।

यदि आप इस क्षेत्र में रहते हैं या नोएडा एयरपोर्ट का उपयोग करने की योजना बना रहे हैं, तो इस परियोजना पर नजर रखें। यमुना प्राधिकरण से संपर्क करें या स्थानीय प्रशासन से जमीन अधिग्रहण और मुआवजा प्रक्रिया के बारे में जानकारी लें। यह एक्सप्रेसवे न केवल सड़क है, बल्कि विकास की नई राह है। क्या आप इस बदलाव का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं?

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