नोएडा में ऑटो-रिक्शा चालकों का हल्ला बोल: परिवहन विभाग के खिलाफ चक्का जाम, किसान यूनियन ने दिया साथ

नोएडा में 15 जुलाई 2025 को सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से सेक्टर-37 की ओर जाने वाले मार्ग पर सैकड़ों ऑटो और ई-रिक्शा चालकों ने परिवहन विभाग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। भारतीय किसान यूनियन (भानु) के नेतृत्व में चालकों ने सड़कों पर चक्का जाम कर अपनी मांगों को बुलंद किया।

चालकों का आरोप है कि परिवहन विभाग के अधिकारी फिटनेस सर्टिफिकेट, परमिट और अन्य दस्तावेजों के नाम पर अवैध वसूली और मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं।

इस हड़ताल ने नोएडा के प्रमुख मार्गों पर यातायात को कई घंटों तक ठप कर दिया, जिससे यात्रियों और आम नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। चालकों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे और बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।

प्रदर्शन का कारण

भारतीय किसान यूनियन (भानु) के वरिष्ठ पदाधिकारी मौके पर पहुंचे और चालकों की समस्याओं को सुना। संगठन के प्रवक्ता ने बताया कि परिवहन विभाग के सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी (ARTO) और अन्य कर्मचारी चालकों से फिटनेस सर्टिफिकेट और परमिट के नाम पर अनुचित शुल्क वसूल रहे हैं।

इसके अलावा, सड़कों पर चालकों के साथ अभद्र व्यवहार और धमकियां आम बात हो गई हैं। चालकों का कहना है कि परमिट प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है और बार-बार दस्तावेजों की मांग कर उन्हें तंग किया जाता है।

भाकियू (भानु) के नेता राकेश टिकैत ने इस प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा, “चालक समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी मेहनत को सम्मान और उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। हम उनके साथ हैं और उनकी मांगें पूरी होने तक यह आंदोलन जारी रहेगा।”

यातायात और यात्रियों पर प्रभाव

चक्का जाम के कारण नोएडा के सेक्टर-37, सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन और आसपास के मार्गों पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया। सुबह 10 बजे शुरू हुआ यह प्रदर्शन दोपहर तक चला, जिससे हजारों यात्रियों को परेशानी हुई। मेट्रो स्टेशन से उतरने वाले यात्रियों को ऑटो या ई-रिक्शा नहीं मिले, जिसके कारण कई लोगों को पैदल ही अपने गंतव्य तक जाना पड़ा।

एक यात्री, सौरभ शर्मा, ने कहा, “मैं सेक्टर-135 में अपने ऑफिस जा रहा था, लेकिन ऑटो न मिलने के कारण मुझे 2 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। चालकों की समस्याएं समझ में आती हैं, लेकिन यात्रियों को भी परेशान नहीं करना चाहिए।” कुछ स्थानीय निवासियों ने शिकायत की कि प्रदर्शन के दौरान ऑटो चालकों ने अन्य वाहनों को भी रोकने की कोशिश की, जिससे तनाव की स्थिति बनी।

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परिवहन विभाग का पक्ष

परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि चालकों की कुछ शिकायतें जायज हो सकती हैं, लेकिन कई ऑटो और ई-रिक्शा बिना वैध परमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के सड़कों पर चल रहे हैं, जो यातायात नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा, “हमारी कार्रवाई अवैध रूप से चलने वाले वाहनों के खिलाफ है।

हम चालकों के साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं करते। परमिट और फिटनेस प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए हम जल्द ही एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने जा रहे हैं।” विभाग ने यह भी बताया कि नोएडा में करीब 20,000 पंजीकृत ऑटो और ई-रिक्शा हैं, लेकिन कई चालक बिना मीटर के मनमाने किराए वसूलते हैं, जिसके खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई की जाती है।

चालकों की मांगें और भविष्य की रणनीति

प्रदर्शनकारी चालकों ने अपनी मांगों को स्पष्ट करते हुए एक चार्टर प्रस्तुत किया, जिसमें कई महत्वपूर्ण बिंदु शामिल हैं। भाकियू (भानु) के समर्थन से चालकों ने मांग की कि परिवहन विभाग को चाहिए कि वह परमिट और फिटनेस प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाए। इसके अलावा, सड़कों पर चालकों के साथ होने वाले अभद्र व्यवहार को रोका जाए।

चालकों ने यह भी मांग की कि अवैध वसूली पर सख्त कार्रवाई हो और परिवहन विभाग के अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एक स्वतंत्र हेल्पलाइन शुरू की जाए। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि 10 दिनों के भीतर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़े पैमाने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे।

चालकों की मुख्य मांगें

मांगविवरण
पारदर्शी परमिट प्रक्रियापरमिट और फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन और समयबद्ध प्रक्रिया शुरू की जाए।
अवैध वसूली पर रोकपरमिट और अन्य दस्तावेजों के नाम पर होने वाली अनुचित वसूली बंद हो।
सम्मानजनक व्यवहारसड़कों पर चालकों के साथ अभद्रता और धमकियों पर रोक लगे।
हेल्पलाइन की स्थापनाचालकों की शिकायतों के लिए स्वतंत्र हेल्पलाइन और शिकायत निवारण तंत्र।
किराया नियमनमीटर के आधार पर किराया लागू हो और मनमानी किराया वसूली पर कार्रवाई हो।
ऑटो स्टैंडनोएडा में अधिकृत ऑटो और ई-रिक्शा स्टैंड की संख्या बढ़ाई जाए।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

नोएडा जैसे व्यस्त शहर में ऑटो और ई-रिक्शा अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण हैं। इनकी अनुपस्थिति से न केवल यात्रियों को परेशानी होती है, बल्कि चालकों की आजीविका भी प्रभावित होती है।

भाकियू (भानु) ने दावा किया कि नोएडा में करीब 25,000 चालक इस पेशे से जुड़े हैं, और उनकी समस्याओं का समाधान न होने से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है। संगठन ने मांग की है कि सरकार चालकों के लिए एक कल्याण योजना शुरू करे, जिसमें बीमा, स्वास्थ्य सुविधाएं और ऋण योजनाएं शामिल हों।

पुलिस और प्रशासन की भूमिका

प्रदर्शन के दौरान नोएडा पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया। डीसीपी (ट्रैफिक) यमुना प्रसाद ने कहा, “हमने प्रदर्शन को शांतिपूर्ण तरीके से संभालने की कोशिश की।

चालकों की शिकायतों को सुनने के लिए हम परिवहन विभाग के साथ एक बैठक आयोजित करेंगे।” पुलिस ने यह भी सुनिश्चित किया कि प्रदर्शन के दौरान कोई हिंसक घटना न हो। हालांकि, कुछ यात्रियों ने शिकायत की कि प्रदर्शनकारियों ने कुछ ऑटो चालकों को जबरदस्ती हड़ताल में शामिल होने के लिए मजबूर किया, जिसकी जांच की जा रही है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. नोएडा में ऑटो चालकों ने हड़ताल क्यों की?

चालकों ने परिवहन विभाग पर फिटनेस, परमिट और अन्य दस्तावेजों के नाम पर अवैध वसूली और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया है।

2. प्रदर्शन का नेतृत्व किसने किया?

भारतीय किसान यूनियन (भानु) ने चालकों के साथ मिलकर प्रदर्शन का नेतृत्व किया।

3. चक्का जाम से कौन से क्षेत्र प्रभावित हुए?

सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से सेक्टर-37 मार्ग और आसपास के क्षेत्रों में यातायात कई घंटों तक ठप रहा।

4. चालकों की मुख्य मांगें क्या हैं?

पारदर्शी परमिट प्रक्रिया, अवैध वसूली पर रोक, सम्मानजनक व्यवहार, हेल्पलाइन, और अधिकृत ऑटो स्टैंड की मांग शामिल है।

5. क्या परिवहन विभाग ने कोई जवाब दिया?

विभाग ने कहा कि अवैध वाहनों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी, लेकिन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया जाएगा।

नोएडा में ऑटो और ई-रिक्शा चालकों का यह प्रदर्शन उनकी लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को उजागर करता है। परिवहन विभाग और प्रशासन को चाहिए कि वह चालकों की शिकायतों का त्वरित समाधान करे ताकि भविष्य में इस तरह की हड़ताल से बचा जा सके। अधिक जानकारी के लिए नोएडा परिवहन विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (uptransport.co.in) पर संपर्क करें।

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