यमुना एक्सप्रेसवे पर बड़ी राहत: नया इंटरचेंज निर्माण शुरू, यात्रियों के लिए खुशखबरी

यमुना एक्सप्रेसवे से यात्रा करने वालों के लिए एक सुखद खबर है! राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (EPE) को जोड़ने वाले नए इंटरचेंज के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है। यह प्रोजेक्ट करीब 223 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा और एक साल में पूरा होने की उम्मीद है।

इस इंटरचेंज से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंच आसान होगी, साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच यात्रा भी सुगम हो जाएगी। हालांकि, एयरपोर्ट के शुरू होने से पहले यह इंटरचेंज तैयार नहीं हो पाएगा, जिससे कुछ समय के लिए यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आइए, इस प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी जानते हैं।

इंटरचेंज से क्या होगा फायदा?

यमुना एक्सप्रेसवे पर जीरो पॉइंट से करीब 10 किमी की दूरी पर यह इंटरचेंज बनाया जाएगा, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के जिलों को नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट से जोड़ेगा। इसके अलावा, यमुना प्राधिकरण (YEIDA) के औद्योगिक और आवासीय सेक्टरों को भी इससे जोड़ा जाएगा। इससे माल ढुलाई और दैनिक आवागमन में तेजी आएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगा और जेवर एयरपोर्ट के विकास को नई उड़ान देगा।

निर्माण की प्रगति और चुनौतियां

इस इंटरचेंज का निर्माण 2019 में शुरू होना था, जब दिल्ली की देव एस कंपनी को 75 करोड़ रुपये की लागत से ठेका दिया गया था। लेकिन जमीन अधिग्रहण में देरी और किसानों के साथ सहमति न बन पाने के कारण प्रोजेक्ट रुका रहा। बढ़ती लागत और प्राधिकरण के बीच मतभेद के बाद एनएचएआई ने जिम्मेदारी संभाली। इस साल अप्रैल में उत्तर प्रदेश सरकार ने एनएचएआई को मंजूरी दी, और अब एनसीआरईपी प्राइवेट लिमिटेड को निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है।

एनएचएआई के परियोजना निदेशक अरविंद सिंह के अनुसार, अगले एक महीने में निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा और 2026 तक इंटरचेंज तैयार हो जाएगा। हालांकि, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट सितंबर 2025 तक पूरा होकर नवंबर 2025 से परिचालन शुरू कर सकता है, जिससे इंटरचेंज के फायदे यात्रियों को करीब 8-9 महीने बाद मिलेंगे।

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तब तक का समाधान

इंटरचेंज बनने तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड से आने वाले वाहनों को ग्रेटर नोएडा होकर नोएडा एयरपोर्ट, आगरा या मथुरा की ओर जाना होगा। इससे यात्रा में करीब 15-20 किमी की अतिरिक्त दूरी और ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ सकता है। स्थानीय प्रशासन ने ग्रेटर नोएडा की सड़कों पर अतिरिक्त पुलिस तैनात करने और वैकल्पिक रूट्स की योजना बनाने की बात कही है।

इंटरचेंज की खासियत

विशेषताविवरण
लागत223 करोड़ रुपये
निर्माण समय1 साल (2026 तक पूरा होने की उम्मीद)
कनेक्टिविटीयमुना एक्सप्रेसवे, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, नोएडा एयरपोर्ट
डिजाइन8 लूप वाला इंटरचेंज, यीडा सेक्टरों से जुड़ाव
क्षमतारोजाना हजारों वाहनों की आवाजाही संभालने में सक्षम

यह इंटरचेंज आठ लूप के साथ बनाया जाएगा, जो यमुना प्राधिकरण के सेक्टर 17, 18 और 20 जैसे क्षेत्रों को जोड़ेगा। 60 मीटर चौड़ी सड़क इसके जरिए औद्योगिक और आवासीय क्षेत्रों को जोड़ेगी, जिससे माल परिवहन और रोजमर्रा की यात्रा में सुधार होगा।

भविष्य की संभावनाएं

इस इंटरचेंज के पूरा होने से न केवल यात्रा का समय कम होगा, बल्कि क्षेत्र में रियल एस्टेट और व्यापारिक गतिविधियां भी बढ़ेंगी। विशेषज्ञों का कहना है कि जेवर एयरपोर्ट के साथ बेहतर कनेक्टिविटी से नौकरियों के अवसर भी बढ़ेंगे। साथ ही, पर्यावरण के लिहाज से भी इस प्रोजेक्ट में पेड़-पौधे लगाने की योजना है, जो हाईवे को हरा-भरा बनाएगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. यमुना एक्सप्रेसवे इंटरचेंज कब से बनना शुरू होगा?

निर्माण कार्य अगले एक महीने में शुरू होने की उम्मीद है।

2. इस इंटरचेंज की लागत कितनी है?

इसकी अनुमानित लागत 223 करोड़ रुपये है।

3. नोएडा एयरपोर्ट कब शुरू होगा?

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट सितंबर 2025 तक पूरा होकर नवंबर 2025 से परिचालन शुरू कर सकता है।

4. इंटरचेंज बनने तक क्या रास्ता अपनाना होगा?

तब तक वाहनों को ग्रेटर नोएडा होकर जाना होगा, जो 15-20 किमी अतिरिक्त दूरी जोड़ेगा।

5. इस इंटरचेंज से क्या फायदा होगा?

यह नोएडा एयरपोर्ट, औद्योगिक क्षेत्रों और पड़ोसी राज्यों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर करेगा।

यह इंटरचेंज नोएडा और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक बड़ा कदम है। हालांकि, इसके फायदे तुरंत नहीं मिलेंगे, लेकिन लंबे समय में यह यात्रियों और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी साबित होगा।

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